राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आक्रामक व्यापार नीतियों के बाद अमेरिकी शेयर बाजार मे भारी गिरावट देखने को मिली है। पिछले दो दिनों में मार्केट वैल्यू में लगभग $6.6 ट्रिलियन की कमी आयी है। इस दौरान  अकेले S&P 500 ने लगभग $5 ट्रिलियन की बाजार की पूंजी खो दी है। 

इसके चलते 4 अप्रैल को डाउ जोन्स  इंडस्ट्रियल एवरेज में 5.5%की गिरावट आयी है । जिससे दो दिनों में कुल गिरावट 4,000 अंकों से अधिक हो गयी है। जिसमें एक ही दिन में 2,200 अंको की बड़ी गिरावट शामिल है। S&P 500 भी लगभग 6% नीचे आ गया ,जबकि तकनीकी शेयरों वाला नैस्डैक 5.8% गिर गया और आधिकारिक तौर पर बेयर मार्केट में प्रवेश कर गया।

इस गिरावट का असर वैश्विक बाजारों पर भी पड़ा। जर्मनी का DAX और फ्रांस का CAC 40 भी भारी नुकसान में रहे। तेल की कीमतें 2021 के बाद के सबसे निचले स्तर पर आ गईं, और तांबे की कीमतों में भी गिरावट आई, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ती चिंताओं को दर्शाती है। जापान का निक्केई भी 2.8% नीचे बंद हुआ। इसके चलते भारत में भी शेयर बाजार को भारी नुकसान हुआ है ,जिसमें लगभग 9 ट्रिलियन रुपए की वैल्यू खत्म हो गयी। बीएसई सेंसेक्स 930.67 अंक गिरकर 75,364.69 पर बंद हुआ । नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 50,345.65 अंक गिरकर 22,904.45 पर पहुँच गया।

चीन ने ट्रम्प की टैरिफ नीतियों का कडा जबाब दिया है। बीजिंग ने अमेरिकी आयत पर 34% टैरिफ की घोषणा  की है । जो 10 अप्रैल से लागू होगा । इससे  लंबे समय तक व्यपार युद्ध की आशंका और बढ़ गयी है। चीन विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज करने और दुर्लभ पृथ्वी धातुओं के निर्यात को रोकने की योजना बना रहा है। ये सब वस्तुएं  इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल डिवाइस में इस्तेमाल की जाती हैं।

अमेरिका के आँय व्यापारिक साझेदार भी अपनी प्रतिकृया पर विचार कर रहे हैं । यूरोपीय संघ को 20% टैरिफ का सामना कारण पड़ रहा है, और उसने "शांत और एकजुट "रहने की बात कही है। जापान ने संयम बरतने का आग्रह किया है। दक्षिण कोरिया ने अमेरिका के साथ तत्काल बातचीत की मांग की है, जबकि बांग्लादेश ने अपने निर्यात पर 37% टैरिफ को "अनुचित" बताते हुए अमेरिका से औपचारिक अपील करने की तैयारी की है। भारत भी अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में शामिल है।