भारतीय उद्योग जगत: पहली छमाही में चुनौतियों के बावजूद दूसरी छमाही में बेहतर आय की उम्मीद
कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली छमाही में भारतीय उद्योग जगत को कमजोर घरेलू मांग और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि साल की दूसरी छमाही में कमाई में मामूली सुधार देखने को मिल सकता है, जिसे कम ऋण लागत, घटती महंगाई, बढ़ती खर्च योग्य आय और आगामी त्योहारी सीजन से मदद मिलेगी।
पहली छमाही का प्रदर्शन और सुधार की उम्मीद
नुवामा इन्स्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषण के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली तिमाही में बीएसई-500 कंपनियों (तेल विपणन कंपनियों को छोड़कर) के राजस्व में भले ही गिरावट आई हो, लेकिन उनका शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 10% तक बढ़ गया है। यह सुधार लागत को तर्कसंगत बनाने और निचले आधार की वजह से संभव हुआ। धातु दूरसंचार, रसायन और सीमेंट कंपनियों की शुद्ध मुनाफा वृद्धि में इजाफा हुआ, जबकि पीएसयू बैंकों और कुछ उद्योगों की वृद्धि धीमी रही।
हालांकि अप्रैल- जून तिमाही अभी पूरी नहीं हुई है, येस सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने इस दौरान निफ्टी की आय में कुछ नरमी का अनुमान जताया है। उन्होंने FY26 के लिए निफ्टी-50 का EPS ₹1,164 रहने का अनुमान लगाया है, जो पहले के अनुमान (₹1,177) से कम है।
सेन्ट्रम में फंड मैनेजमेंट के प्रमुख मनीष जैन ने कहा,"आयकर दरों में कमी के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ब्याज दरों और नगद आरक्षित अनुपात (CRR) में कमी करने से भारतीय अर्थव्यवस्था को अनुकूल नीतिगत समर्थन मिला है। इसलिए, बेहतर व्यवस्थागत तरलता FY26 की दूसरी और तीसरी तिमाही में कार्पोरेट आय वृद्धि में मददगार होगी।"
सेक्टरों पर अलग-अलग असर
फिस्डम के शोध प्रमुख नीरव करकेरा का मानना है कि घरेलू खपत से जुड़े सेक्टर आगे बेहतर कमाई करा सकते हैं, जबकि निर्यात-केंद्रित क्षेत्र पीछे रह सकते हैं।
सकारात्मक बदलाव की उम्मीद वाले सेक्टर:
- कंज्यूमर स्टेपल
- डिजिटल-फर्स्ट कंज्यूमर ब्रांड
- दूरसंचार
- एफएमसीजी
- गैर-ऋण वित्तीय सेवाएँ
- पूंजीगत वस्तु
- निर्माण सामग्री
- बिजली
- रक्षा (चयन पर ध्यान देने की ज़रूरत)
आय संबंधी चुनौतियों का सामना करने वाले सेक्टर:
- सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाएँ (निर्यात जोखिम के कारण)
- ऑटो एंसिलियरी (निर्यात जोखिम के कारण)
सेंट्रम के मनीष जैन को भी उम्मीद है कि कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, एनबीएफसी, औद्योगिक, धातु, सीमेंट, रक्षा और दूरसंचार सेक्टर बेहतर आय वृद्धि दर्ज करेंगे, जबकि ऑटोमोबाइल और टेक्नोलॉजी से निराशा हाथ लग सकती है।
भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएं
केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाली तिमाहियों में कॉर्पोरेट जगत का प्रदर्शन वैश्विक विकास परिदृश्य की स्पष्टता, बहु- राजनीतिक तनाव, व्यापार नीति संबंधी अनिश्चितताओं और कमोडिटी की कीमतों के झटकों जैसे बाहरी जोखिमों पर निर्भर करेगा। जहां कम ब्याज दरें एक सहायक कर्क होंगी, वहीं आने वाली तिमाहियों में घरेलू मांग की स्थिति सम्पूर्ण कॉर्पोरेट प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
कुल मिलाकर, भारतीय उद्योग जगत पहली छमाही की चुनौतियों से निकलकर दूसरी छमाही में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहा है, जिसे कई घरेलू कारकों से समर्थन मिलेगा। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताएं अभी भी चिंता का विषय बनी हुई हैं।