सोमवार को शेयर बाजार ने ऐतिहासिक उछाल दर्ज कि,लेकिन मंगलवार को निवेशकों का मूड बादल गया। बाजार में शुरुवाती कारोबार से ही कमजोरी देखने को मिली और बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी 1% से ज्यादा गिर गए। सेंसेक्स में अकेले 502 अंको कि गिरावट तो HDFC बैंक, इन्फोसिस आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, TCS और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे दिग्गज शेयरों में आई। आखिर इस तेजी के बाद बाजार क्यो ठंडा पद गया? इसके पीछे ये पाँच मुख्य कारण माने जा रहे हैं:
- मुनाफावसूली का दबाव : सोमवार को भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम होने कि खबरों से बाजार लगभग 4% चढ़ गया था। इस बड़ी तेजी के बाद,मंगलवार को निवेशकों ने अपने मुनाफे को सुरक्षित करना शुरू कर दीय, जिससे बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ गया ।
- मूल्यांकन मे तेज वृद्धि से सतर्कता :कम समय में बाजार के मूल्यांकन में आई तेज उछालने ट्रेडर्स को सतर्क कर दिया है। खासकर बड़े शेयरों में मुनाफावसूली देखी जा रही है। जियोजित ईन्वेस्ट्मेंट्स के डॉ. वीके विजयकुमार के अनुसार, सोमवार की तेजी मुख्य रूप से शॉर्ट-कवरिंग और रिटेल निवेशकों की खरीदारी के कारण थी, जिसमें संस्थागत निवेशकों की बड़ी भूमिका नहीं थी। ऐसे में, आने वाले दिनों में संस्थागत गतिविधि कम रहने की संभावना है, जो रैली को आगे बढ़ने से रोक सकती है।
- अमेरिका चीन टैरिफ तनाव:भले ही अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ कम करने और आर्थिक सहयोग सहमति बनी है। लेकिन इसका तत्काल लगभग लाभ भारतीय बाज़ारों को नहीं मिल पाया है। कुछ विश्लेषकों का मानना था कि लंबे समय तक अमेरिका-चीन तनाव से वैश्विक कंपनियाँ भारत को एक वैकल्पिक सप्लाई छें के रूप में देखेगी, लेकिन फिलहाल बाजार इस पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है।
- कच्चे तेल की कीमतों में उछाल: सोमवार को ग्लोबल ट्रेड सेंटीमेंट्स में सुधार के कारण कच्चे तेल की कीमतें दो सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। ब्रेंट क्रूड 64.74 डॉलर और WTI 61.77 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। कच्चे तेल की कीमतों में यह बढ़ोतरी भारतीय बाजार के लिए नकारात्मक साबित हो सक
अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में वृद्धि: अमेरिका में 10 साल के ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोत्तरी हुई है, जो मार्च के अंत के 4.25% से बढ़कर 4.457% हो गया है। बॉन्ड यील्ड में वृद्धि वैश्विक निवेशकों के लिए अमेरिकी एसेट्स को अधिक आकर्षक बनाती है। जिससे भारत जैसे उभरते बाज़ारों से पूंजी का प्रवाह अमेरिका कि ओर से हो सकता है। इस ट्रेड ने भी भारतीय इक्विटी पर दबाव डाला है।
निवेशकों को अब आगे बाजार की चाल पर नजर रखनी होगी।