बाजार का नया रहस्य: तेल महंगा, फिर भी मंदी का साया नहीं!
आम तौर पर यह माना जाता है कि जब कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो शेयर बाजार में गिरावट आती है, लेकिन हाल के आँकड़े और बाजार के विशेषज्ञ एक चौकने वाला ट्रेड बता रहे हैं।तेल की तेजी अब हमेशा शेयर बाजार के लिए बुरी खबर नहीं होती। हालांकि, ईरान और इजराइल के बीच बढ़ता तनाव इस समीकरण को बदल सकता है।
क्या तेल की तेज़ी हमेशा बाज़ार के लिए बुरी होती है? आंकड़े क्या कहते हैं?
इतिहास में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का सीधा असर शेयर बाजार पर देखा गया है लेकिन यह हमेशा एक जैसा नहीं रहा ।
- FY12 का अनुभव :वित्त वर्ष 2012 में जब ब्रेंट क्रूड की कीमतें 32% बढ़कर $115 प्रति बैरल तक पहुंची थी तब निफ्टी 50 इंडेक्स में 9.2% की गिरावट आई थी।
- उसके बाद का ट्रेड: लेकिन इसके अगले दो सालों में, जब तेल की कीमतें $110(FY13) और $108(FY14) में रही थी ,तब निफ्टी ने उस समय उल्टा फायदा दिखाया था। FY13 में इंडेक्स 7.3% बढ़ा और FY14 में 18% की जोरदार छलांग लगाई और उस समय भारत की GDP ग्रोथ भी ठीक-ठाक थी।
- हाल का ट्रेंड (FY22-FY23):FY22 में जब कच्चा तेल औसतन $81 प्रति बैरल रहा (जो FY21 से 81%ज्यादा था), तब भी निफ्टी 50 करीब 19% ऊपर गया। इसके अगले साल FY23 में कीमतें $96 प्रति बैरल तक बढ़ी लेकिन निफ्टी में गिरावट सिर्फ 0.6% ही रही।
2014 के बाद बदल गए हालात
इक्विनोमिक्स रिसर्च के प्रमुख जी. चोक्कलिंगम बताते हैं कि 2007 स 2014 के बीच $100 से ऊपर की तेल कीमतें आम थी, लेकिन 2014 के बाद हालात बदल गए:
- बढ़ा उत्पादन: अमेरिका ने अपने शेल गैस उत्पादन को बढ़ाया।
- चीन का बदला फोकस: चीन ने मैन्युफैक्चरिंग से हटकर सर्विस सेक्टर पर ध्यान देना शुरू किया है।
- वैकल्पिक ऊर्जा: 2013-14 के बाद सोलर और विंड जैसी वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को भी महत्व मिलने लगा।
चोक्कलिंगम का कहना है कि अब बाजार कच्चे तेल के साथ-साथ इन विकल्पों को भी ध्यान में रखता है। इसलिए, अगर तेल की कीमतें बहुत तेजी से और ज्यादा समय तक नहीं बढ़तीं, तो वे शेयर बाजार के लिए हमेशा नुकसानदेह नहीं होतीं।
इज़राइल-ईरान तनाव: क्या है ख़तरा?
हालांकि, हाल की घटनाओं ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। deVere Group के CEO नाइजल ग्रीन का कहना है कि बाज़ार अब ‘खतरनाक लापरवाही’ दिखा रहा है।
- बदलते हालात: ग्रीन का मानना है कि निवेशक अब भी पुराने नजरिए से सोच रहे हैं, जबकि हालात बहुत बदल चुके हैं।
- संघर्ष का बढ़ना: खास तौर पर जब इजराइल ने ईरान के अंदर की सुविधाओं को निशाना बनाना शुरू किया है,तो यह संघर्ष अब प्रत्यक्ष युद्ध की तरफ बढ़ रहा है।
- तेल $150 तक जा सकता है: विशेषज्ञों का मानना है कि इस संघर्ष के चलते ऊर्जा बाजार में बड़ा असर पड़ सकता है। स्ट्रेट ऑफ होरमुज एक अहम रास्ता है जहां से हर दिन करीब 17 मिलियन बैरल तेल गुजरता है (दुनिया की कुल आपूर्ति का लगभग 20%)। अगर यह रास्ता बाधित होता है,तो कच्चे तेल की कीमतें $150 प्रति बैरल तक जा सकती हैं।
ग्रीन चेतावनी देते हैं की अगर तेल की कीमतें इतनी तेज से बढ़ी,तो दुनिया के विकसित देशों की ब्याज दरें घटने की उम्मीदें भी खत्म हो सकती हैं। महंगाई फिर से बढ़ सकती है और शेयर बाजार की तेजी रुक सकती है।