FDI की मिली-जुली तस्वीर: भारत में शुद्ध FDI में तेज गिरावट, पर सकल निवेश में 14% की दमदार बढ़ोतरी

वित्त वर्ष 2025 के दौरान भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में बड़ी गिरावट देखी गई है। इसका मुख्य कारण विदेशी निवेशकों द्वारा अपने पैसे को वापस अपने देश भेजना है। हालांकि रिजर बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इसे एक 'परिपक्व बाजार' का संकेत बताया है। जहां निवेशक आसानी से निवेश कर सकते हैं,और बाहर निकाल सकते हैं। चौकाने वाली बात यह है कि इस दौरान भारत में सकल FDI (कुल आने वाला निवेश ) में 14% की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। 

शुद्ध FDI में गिरावट, सकल FDI में उछाल

आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में शुद्ध FDI की आवक घटकर मात्र 0.4 अरब डॉलर रह गई, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 10.1 अरब डॉलर थी। इसके विपरीत, सकल FDI(Gross FDI) की आवक काफी मजबूत बनी हुई है। वित्त वर्ष 2024-25 में यह 14 प्रतिशत बढ़कर 81 अरब डॉलर हो गया है, जबकि एक साल पहले यह 71.3 अरब डॉलर था। 

धन वापसी: परिपक्व बाजार का संकेत

गवर्नर मल्होत्रा ने स्पष्ट किया कि शुद्ध FDI में यह कमी मुख्य रूप से निवेशकों द्वारा अपने देश में धन वापस भेजने में हुई वृद्धि और भारत से शुद्ध रूप से विदेश में किए गए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Outward FDI) में वृद्धि के कारण है। उन्होंने कहा,'अपने देश में धन वापस ले जाने में वृद्धि एक परिपक्व बाजार का संकेत ही जहां विदेशी निवेशक आसानी से बाजार में प्रवेश कर सकते और निकाल सकते हैं।" 

इसका मतलब है कि भारत का बाजार अब इतना विकसित हो गया है कि निवेशक अपनी जरूरत के हिसाब से फंड निकाल और डाल सकते हैं, जो बाजार के लचीलेपन को दर्शाता है। वहीं उच्च सकल FDI यह संकेत देता है कि भारत अभी भी एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है।

बाहरी फंडिंग के अन्य स्रोत भी मजबूत

मल्होत्रा ने बताया कि बाहरी वाणिज्यिक उधारी (ECB) और प्रवासी भारतीयों की जमा (NRI Deposits) में भी पिछले वित्त वर्ष की तुलना में शुद्ध आवक अधिक रही है:

  • बाहरी वाणिज्यिक उधारी (ECB): वित्त वर्ष 2025 में ECB से शुद्ध आवक बढ़कर 18.7 अरब डॉलर हो गई, जो एक साल पहले 3.6 अरब डॉलर थी। अप्रैल 2025 में यह बढ़कर 2.8 अरब डॉलर हो गई।
  • प्रवासी जमा: वित्त वर्ष 2024-25 में प्रवासी जमा बढ़कर 16.2 अरब डॉलर हो गई है, जो एक साल पहले 14.7 अरब डॉलर थी।

भारत का बाहरी क्षेत्र मजबूत

गवर्नर ने जोर देकर कहा कि "कुल मिलाकर भारत का बाहरी क्षेत्र मजबूत बना हुआ है और प्रमुख बाहरी क्षेत्र के उतार-चढ़ाव वाले संकेतकों में सुधार जारी है।' उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत अपनी बाहरी विदेशी वित्तपोषण की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा। 

हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) तेजी से गिरकर 1.7 अरब डॉलर रह गया, क्योंकि शेयर बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मुनाफावसूली की है। 

यह आंकड़े भारत की अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार के विदेशी निवेश प्रवाह की जटिल तस्वीर पेश करते हैं।