दो दिन बाद बाज़ार में हरियाली: बैंकिंग और IT शेयरों ने दिलाई बढ़त, जानें पूरी वजह

दो दिन की लगातार गिरावट के बाद, सोमवार को भारतीय  शेयर बाजार ने शानदार वापसी की। बैंकिंग और टेक्नोलॉजी सेक्टर के दिग्गजों में तेजी के कारण बाजार ने इजराइल-ईरान संघर्ष से उपजे तनाव को कुछ हद तक नजर अंदाज किया। देशी संस्थागत निवेशकों (DII) की लगातार मजबूत खरीदारी ने भी इस बढ़त को बनाए रखने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

बाज़ार का हाल: तेज़ी के साथ बंद हुए सूचकांक

  • सेंसेक्स: 678 अंक चढ़कर 81,796 पर बंद हुआ।
  • निफ्टी: 228 अंकों की बढ़त के साथ 24,947 पर टीका है। 
  • बाजार पूंजीकरण: बीएसई मे लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप ₹3.3 लाख करोड़ बढ़कर ₹451 लाख करोड़ पर पहुंच गया। 

ज्यादातर वैश्विक बाजार भी सकारात्मक रुख के साथ बंद हुए, जिससे यह चिंता भी बढ़ गई कि ट्रेडर पश्चिम एशिया के तनाव के असर को कम करके आंक रहे हैं। 

DIIs की लगातार खरीदारी ने दिया सहारा

बाजार की इस तेजी में घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) की भूमिका अहम रही :

  • DIIs ने ₹5,781 करोड़ के शेयर की शुद्ध खरीद की।
  • इसके विपरीत,विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने ₹2,539 करोड़ के शेयर बेचे। 
  • DIIs लगातार 20 सत्रों से शुद्ध खरीदार बने हुए हैं और इस दौरान उन्होंने कुल ₹94,500 करोड़ के शेयर खरीदे हैं। यह 19 मार्च को समाप्त हुई 29 दिवसीय खरीदारी अवधि के बाद की सबसे लंबी अवधि है। 

किन शेयरों ने बढ़ाई बाज़ार की चमक?

  • HDFC Bank: इसमें 0.9% की तेजी आई और सेंसेक्स की बढ़त में इसका सबसे ज्यादा योगदान रहा। जेफ़रीज की एक रिपोर्ट में इसे "पहली पसंद" बताया गया जिसका कारण आसान नियमन, कम ब्याज दरें और बेहतर ऋण वृद्धि हैं। 
  • Infosys: इसमें 1.4% का इजाफा हुआ, जिसने सेंसेक्स की बढ़त में दूसरा सबसे ज्यादा योगदान दिया। 
  • Reliance Industries: इसमें 0.76% की तेजी आई। 
  • Bharti Airtel: इसमें 1.04% का इजाफा हुआ। 

कच्चे तेल और सोने की स्थिति

इजराइल और ईरान के बीच जारी हमलों के बावजूद कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहीं। इसकी मुख्य वजह यह है कि अभी तक तेल उत्पादक सुविधाओं या होंर्मुज जलडमरुमध्य ( (जहाँ से दुनिया के कच्चे तेल की लगभग 5वाँ हिस्सा गुज़रता है) पर हमलों का कोई असर नहीं हुआ है।

  • ब्रेंट क्रूड: 1.9% की गिरावट के साथ $74 से नीचे कारोबार कर रहा था। 
  • सोना: कीमतों में 0.5% की गिरावट आई, जो $3,413 प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था। 

विश्लेषकों का मानना है कि जब तक लड़ाई आगे नहीं बढ़ती और अन्य देश इसमें शामिल नहीं होते, निवेशक गिरावट पर खरीदारी का अपना नजरिया बनाए रखेंगे। 

विश्लेषकों की राय और बाज़ार का भविष्य

जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि इज़राइल और ईरान के बीच चल रहे भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद बाज़ार में तेज़ी आई, जिसे लार्ज-कैप शेयरों में बढ़त से सहारा मिला। उन्होंने ज़ोर दिया कि निवेशक अस्थिर हालात के बीच भी दीर्घकालिक फंडामेंटल्स पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं।

आगे की राह:

  • पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक घटनाक्रम निकट अवधि में बाज़ार की धारणा को प्रभावित कर सकता है, और तनाव कम होने के किसी भी संकेत पर बारीकी से नज़र रखी जा रही है।
  • महंगे मूल्यांकन और अल्पकाल में तेज़ी के उत्प्रेरकों की कमी के कारण स्मॉलकैप शेयरों के अल्पावधि में कमज़ोर प्रदर्शन करने की संभावना है।
  • रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजित मिश्रा ने कहा कि बाज़ार की मौजूदा मज़बूती उत्साहजनक है, लेकिन निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और एक दिन की तेज़ी में नहीं बहकना चाहिए। उन्होंने कम अस्थिर काउंटरों को प्राथमिकता देने और शेयर-विशेष में ट्रेडिंग का नज़रिया बनाए रखने की सलाह दी।

सोमवार को बाजार में चढ़ने और गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा, जहां 2,151 शेयरों में गिरावट आई जबकि 1,944 शेयरों में बढ़त दर्ज हुई। सेंसेक्स केवल तीन शेयरों को छोड़कर बाकी सभी शेयरों में तेजी दिखाई दी। और बाजार अभी भी सावधानी बरत रहा है, भले ही बड़े शेयरों ने सोमवार को उसे सहारा दिया।